भोर हुई तो चाँद ने, पकड़ी अपनी बाट।
पूर्व दिशा के तख़्त पर, बैठे रवि-सम्राट।।
बीत गए इतने दिवस, बीते इतने साल।
यादें पावन प्रीत की, यूँ ही रखो सँभाल।।
प्रेम हमेशा जीतता, यदि है प्रेम पवित्र।
राधा बिना अपूर्ण है, कान्हा का हर चित्र।।
दिल में तो कुछ और है, अधर कहें कुछ और।
हाव-भाव पर आप ही, ज़रा कीजिए ग़ौर।।
शहर गए बच्चे सभी, सूनी है चौपाल।
दादा-दादी मौन हैं, कौन पूछता हाल?
पूर्व दिशा के तख़्त पर, बैठे रवि-सम्राट।।
बीत गए इतने दिवस, बीते इतने साल।
यादें पावन प्रीत की, यूँ ही रखो सँभाल।।
प्रेम हमेशा जीतता, यदि है प्रेम पवित्र।
राधा बिना अपूर्ण है, कान्हा का हर चित्र।।
दिल में तो कुछ और है, अधर कहें कुछ और।
हाव-भाव पर आप ही, ज़रा कीजिए ग़ौर।।
शहर गए बच्चे सभी, सूनी है चौपाल।
दादा-दादी मौन हैं, कौन पूछता हाल?
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